आप को गर्व होगा के आप ऐसे समाज का हिस्सा है जहाँ नारी को माँ के रूप में देखा जाता है दुर्गा के रूप में देखा जाता है न के मुस्लिम समाज की तरह सिर्फ भोग की वास्तु आप को हैरान कर देगा Sufiya Mastani का ये लेख जरूर पढ़ें ये लेख
Sufiya Mastani : मुझे फक्र है कि मैं मुसलमान हु और इस्लाम मेरा मज़हब है लेकिन इस्लाम के नाम पर झूठ को स्वीकार करने की ताकत मेरे ईमान में नही है। अक्सर मुसलमानो को राम से और ईसाईयो को कृष्ण से बहुत चिढ़ होती है, दरसल ये चिढ़ नही जलन है। यदि खुदा 100 नबी भी भेज दे तो वो एक राम की बराबरी नही कर सकते। मुहम्मद साहब ने 13 निकाह किये, वही राम ने एक मिसाल कायम की और अपनी पत्नी के लिये रावण तक से मुकाबला किया।
अब कुछ लोग कहेंगे कि उन्होंने अग्नि परीक्षा ली तो इस पर मैं हिन्दुओ को भी दो टूक कहना चाहूंगी कि ये आपके मज़हब का अन्धविश्वास है यदि राम के मन में सीता को लेकर कोई शक होता तो वो युध्द करने का इतना जोखिम ही नही उठाते। राम ने जीवन भर एक पत्नी को ही अपना सबकुछ माना लेकिन मुहम्मद ने नही। कोई भी लड़की ऐसा पति ही चाहेगी जो की उसे छोड़कर परायी स्त्री पर नज़र ना डाले ना की मुहम्मद की तरह 12 सौतन लाने वाला।
अब बात करते है कृष्ण की तो ईसाईयो का उनसे द्वेष रखने का कारण यह है कि इंग्लैंड में इस्कॉन मंदिरो का डंका कुछ यु बजरहा है कि बहुत सी ईसाई नन भी हिन्दू बनकर कृष्ण की हो गयी। जाहिर सी बात है आप किसी लड़की के सामने ईसा मसीह और कृष्ण को खड़ा कर दो, लड़की आँख बंद करके वरमाला कृष्ण के ही गले में डालेगी। क्योकि मानव समाज के या यु कहे लड़कियों के असली हीरो वो ही है। यहाँ भी कुछ नकारात्मक लोग कहेंगे कि कृष्ण की 16000 पत्नियां थी, जनाब इसका संदर्भ देंगे की ये भागवत पुराण में लिखा है, भागवत पुराण में तो ये भी लिखा है कि कृष्ण ने अपने 16000 रूप रख लिए थे सबके लिये।
अब आप कहोगे 16000 रूप रखना कैसे संभव है तो सर 16000 शादिया उन्होंने की ये भी कैसे संभव है??? सब बेफिजूल की बाते है राम और कृष्ण की कही भी कोई बराबरी नही है। मुहम्मद साहब ने अरब वालो को और ईसा मसीह ने यूरोप वालो को जीना सिखाया उसके लिये उनका आभार मगर राम और कृष्ण के आगे दोनों ही नही टिकते, वैश्विक समाज इस बात को जितना जल्द स्वीकार कर ले उतना ठीक है वरना झूठ में तो इतने सालों से चल रहा है ।
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